ले मशाल चल पडे है, लोग मेरे गांव के.....




ले मशाल चल पडे है, लोग मेरे गांव के,
अब अँधेरा जीत लेगे, लोग मेरे गांव के


पूछती है झोपड़ी ओर पूछते है खेत सभी,
कब तक लुटते रहेंगे, लोग मेरे गांव के


चीखती है हर रुकावट, टुकडों की मार से,
बेड़ीया खनका रहे है, लोग मेरे गांव के


लाल सूरज अब उगेगा देश के, हर गांव मे,
अब इकठा होने लगे है, लोग मेरे गांव के


देखो यारो जो सुबह लगती है फीकी आज कल,
लाल रंग उसमे भरेंगे आज, लोग मेरे गांव के

रिपोर्ट सरकारी है॥

आज भारत देश में हर तरफ किसान आत्महत्या कर रहे है भूख से मोते हो रही है पर सरकार क्या कर रही है।
इसी पर एक व्यंग है ---

सरकारी आंकडो की गवाही है
कीटाणुओ तक के पेट भरे है
आदमी की क्या दुहाई है?

सवाल मोंन हो गये, गौंण हो गये....

और दूर उस गाँव में जो मौत बबाल हो गयी थी
उसके तन की दुर्गन्ध फैलने लगी थी
जांच करने वाले डाक्टर नाक पर रुमाल रख कर, विश्लेषण में मग्न थे
मौत जब सनसनीखेज हो जाये
कितनों की परेशानी बन जाती है....
अचानक कुछ आंखो में चमक सा
घर के एक कोने में, पत्ते के दोने में
आधा खाया हुआ प्याज, थोडा नमक था..... ।

मौत भूख से नही हुई है
पेट कि बीमारी है
जांच पूरी है, रिपोर्ट सरकारी है.....रिपोर्ट सरकारी है॥